“योग रहस्य” भारतीय ऋषियों के आध्यात्मिक, यौगिक अनुसंधान से प्राप्त निष्कर्षांे पर आधारित एक अनुपम ग्रंथ है। मानवीय चेतना, उसमें निहित प्राण उर्जा, उसके विभिन्न आयामों की विस्तृत जानकारी के साथ ही इस ग्रंथ में पंचकोश, सप्तचक्र एवं कुण्डलिनी जागरण की समस्त प्रक्रिया पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। योग साधना में अभिरूचि रखने वाले साधकों एवं डिग्री, डिप्लोमा या शोध कर रहे व्यक्तियों के लिए भी इसमें विशेष सामग्री उपलब्ध है। योग साधना की सैद्धान्तिक और अभ्यास विधि सम्बन्धी विवेचना जैसी दुर्लभ और पठनीय सामग्री का सरल प्रस्तुतिकरण इस पुस्तक की विशेषता है। जिससे इसे संदर्भ ग्रंथ के रूप में विभिन्न विश्वविद्यालयों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर प्रयोग में लाया जा सकेगा। योग रहस्य में प्राण तत्व की गरिमा का विस्तृत उल्लेख है। यह प्राण प्रगति का आधार है। प्राण ही जड़ जगत एवं चेतना दोनों की सर्वोपरि शक्ति है। शास्त्रकारों ने इसे आदि एवं अनन्त कहा है। योग एक शाश्वत विज्ञान है एवं ब्रह्म द्वारा निर्दिष्ट, ऋषियों, तपस्वियों तथा दार्शनिकों द्वारा अपनाई गई श्रेष्ठ साधना पद्धति है। ऋषियों ने जो सोपान तय किये है उनमें विभिन्न चक्रों (मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा एवं सहस्त्रार) का शोधन जागरण करना, 72000 नाडियों में प्रमुख इडा एवं पिंगला नाडियों को संतुलित कर सुषुम्ना का जागरण करना तथा उसके उपरान्त मूलाधार में स्थित कुण्डलिनी को जगाकर, विभिन्न चक्रों के बोधन के माध्यम से परमात्मा तत्व की प्राप्ति संभव है। समाज के हित को ध्यान में रखते हुए समाज व्याप्त प्रमुख बिमारियों का योग द्वारा कैसे संभव है? इस विषय पर भी लोगों को अपने लिए अलग-अलग योगाभ्यास चुनने में यह पुस्तक एक मार्गदर्शन की भूमिका निभाएगी।
Sub Title | No |
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Author | Dr. Kamakhya Kumar |
About Author | No |
Content | <\b>विषय सूची <\b>प्रस्तावना <\b>भूमिका 1. चेतना का अर्थ एवं परिभाषा 2. प्राण का अर्थ एवं परिभाषा 3. चेतना के समग्र अध्ययन की आवश्यकता 4. प्राण का महत्त्व 5. चेतना का स्थान एवं क्षेत्र 6. प्राण का स्थान व क्षेत्र 7. उपनिषद में चेतना का स्वरूप 8. ज्योतिष विज्ञान में चेतना का स्वरूप 9. वेद एवं उपनिषद में प्राण का स्वरूप 10. वैज्ञानिक जगत में मानव चेतना का स्वरूप 11. प्राण के भेद 12. प्राण के कार्य 13. मानव चेतना पर परामनोवैज्ञानिक अनुसंधान 14. मानव चेतना की खोज में मनोविज्ञान का जन्म 15. कर्मफल का सिद्धंात एवं मानव चेतना 16. मानव चेतना का वर्तमान संकट 17. मानव चेतना के विविध रहस्य, पुनर्जन्म, भाग्य एवं पुरूषार्थ 18. इस्लाम धर्म में मानव चेतना की विकास प्रणालियां 19. प्राण-विज्ञान एवं उसकी उपयोगिता 20. योग साधना एवं कुण्डलिनी विद्या 21. मूलाधार चक्र 22. स्वाधिष्ठान चक्र 23. मणिपुर चक्र 24. अनाहत चक्र 25. विशुद्धि चक्र 26. आज्ञा चक्र 27. सहस्रार चक्र 28. अन्नमय कोश 29. प्राणमय कोश 30. मनोमय कोश 31. विज्ञानमय कोश 32. आनंदमय कोश <\b>अनुक्रमणिका |
ISBN 10 Digit | No |
ISBN 13 Digit | 9788187471509 |
Pages | No |
Binding | Hardcover |
Year of Publication | No |
Edition of Book | No |
Language | No |
Illustrations | No |
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